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घोॅर घुरी के आबोॅ जी / अनिल कुमार झा
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पवन वसंत प्रिय पिया लागै
आबोॅ, आवेॅ नै सताबो जी,
घोॅर घुरी के आबोॅ जी।
फूल कली पर भौंरा डोलै छै
गली गली में शोर मचै छै,
पहुना सेज सजाबो जी
घोॅर घुरी के आबोॅ जी।
रही के ननदी कूट काटै छै
हमरो दुखोॅ के नै बॉटै छै,
ताप तनो के भाँपो जी
घोॅर घुरी के आबोॅ जी।
जिनगी बेरथ लागै क्षण-क्षण
मातलोॅ दिस दिस, पल पल, कण कण,
भरम भूत भगाबोॅ जी
घोॅर घुरी के आबोॅ जी