भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

टोनी टोनी खाय हे / अनिल कुमार झा

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:24, 22 जनवरी 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनिल कुमार झा |अनुवादक= |संग्रह=ऋत...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कारोॅ कारोॅ धरती पर धानोॅ के खुट्टी सोनोॅ सं सोहाय हे
बीचोॅ में बूटोॅ के हरिहर झाड़ी बकरी टोनी-टोनी खाय हे,
हाँक लगैने जोॅन भागै छै
चरवाहा पर ख़ूब बकै छै,
बनी के चास खबैलकै कैन्हें न कोय भगाय हे
बीचोॅ में बूटोॅ के हरिहर झाड़ी बकरी टोनी-टोनी खाय हे,
गैर बड़ी छै मेहनत करवोॅ
कादोॅ धूरा में सनी के रहबोॅ
जानै लेॅ पारतै की बच्चा बुतरू कैन्हें न कोय बताय हे
बीचो में बूटोॅ के हरिहर झाड़ी बकरी टोनी-टोनी खाय हे,
घास फूस खाय जानवर बचतै
दाना बिना की जीवन सजतै,
धरती देशोॅ के चरने जाय छै कैन्हें न कोय लजाय हे
बीचोॅ में बूटोॅ के हरिहर झाड़ी बकरी टोनी-टोनी खाय हे,
मरद बनै छो दरद ते जानोॅ
जीवन अमरित के पहचानोॅ
सिरजन के ऋतु प्यार-प्यार में कैन्हें न कोय बचाय हे
बीचोॅ में बूटोॅ के हरिहर झाड़ी बकरी टोनी-टोनी खाय हे।