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बारिश-4 / वन्दना टेटे
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मेरे एकान्त को
तोड़ने चली आई है
ये बारिश
घुप्प अन्धेरा अन्दर-बाहर का
कल का खण्डहर होता घर
टिन की चद्दर पर गिरती बून्दें
उदास होता समय है।
ऐसे में बिजली का यूँ
लहरा कर आना, चौंधियाना
बादल की धमकी
और ठनके को संग लाना
तोड़ना मेरे एकान्त को
अच्छा नहीं लगता ।