Last modified on 2 फ़रवरी 2021, at 20:52

क्रान्तिकारी / वन्दना टेटे

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:52, 2 फ़रवरी 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वन्दना टेटे |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

क्रान्तिकारी
शुगर से पीड़ित हैं
कवि सरकारी ‘नोबेल’ से
किसान बैंकों में मर गए
मज़दूर ठेके में
भ्रूण में ही मर गई
दुनिया की सब औरतें
दलित बुद्धत्व को प्राप्त हुए
जंगलों के आदिवासी
सुरक्षित अभ्यारण्यों की सेज पर हैं
सचमुच
यह कलिंग काल नहीं है
न ही 1992 या 2002 वाला
मध्ययुगीन बर्बर भारत
आँत में दाँत रखने वाला
एक स्पांसर्ड राजा
मुस्कुराते हुए हर रोज़ कहता है
इण्डिया चाँद से बहुत आगे है