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वे किताबें / श्रीविलास सिंह
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ओ मंत्र द्रष्टा ऋषियों, ईश्वर पुत्रों, पैगम्बरों,
तुम्हारी किताबो में क्यों नही लिखा है कि
नहीं है गुनाह प्रेम करना।
कि प्रेम करने का निषेध करने वाले
जलाये जायेगे नरक की आग में।
कि इन किताबों के लिए लड़ने वाले
नहीं है उसके बंदे
जिसके नाम पर बिक रही हैं ये।
यह कि
वह है इन किताबों से अलग
और उसे पाने के और भी हैं रास्ते,
इन किताबों से परे।
यह कि
उसकी दुनियां में
प्रेम और जीवन ही हैं सबसे बड़े सत्य
और इन मूल्यों के लिए
छोड़ी जा सकती हैं
ये सारी किताबें।