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गाँव नही अब / श्याम सखा 'श्याम'
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गाँव नही अब
हमको जाना
कहकर हैं,चुप
बैठे नाना
प्रीत-प्यार की
बात कहाँ
कौन पूछता
जात वहाँ
ख़त्म हुआ सब
ताना-बाना
कोयल कागा
मौन हुए
संबंध सभी तो
गौण हुए
और सुनोगे
मेरा गाना
बूआ-काका
नहीं-वहां
गीदड़-भभकी
हुआं-हुआं
खूब-भला है
पहचाना