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निघेस / दीप नारायण

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साँझ परिते अहाँ
भोरका अखबार जँका
रहैत छी निःशब्द
चौपेतल

जेना-जेना
बितैत जाइत अछि राति
उधेसल जाइत छी
अखबारे जँका

भोर होइते
सँझुका अखबार जँका
भ' जाइत छी अहाँ निघेस।