भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

भाषाओं की मौत / लाल्टू

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:59, 21 फ़रवरी 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लाल्टू |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poe...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

भाषाओं की मौत कौन पढ़ता है
हर मौत कहानी नहीं होती
मसलन भाषाओं की मौत कौन पढ़ता है।

कोई कहानी मर रही है हर किसी कोने में
यह किसी भाषा के मौत की कहानी है।
कोई जासूस इन कोनों पर नहीं आता

मरती भाषा के सुराग अपने ही अंदर होते हैं
भाषा मरती है तो कहानी अपने अंदर मरती है
कौन पढ़ता है।

2010
  
  लीजिए, अब इसी कविता का अँग्रेज़ी अनुवाद पढ़िए

                 Laltu
              Death of Tongues

Who Reads of the Tongues Dying
Not every death is a tale
For instance who reads of the tongues dying

A story is dying in every which corner
A story of a tongue dying
No sleuth enters these corners

The clues of a dying language are within us
A language dies and along with it the story dies
Who reads.

2010