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रंगों के अंदर रंग / राम करन
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सजधज कर चला वसंत,
महके महके हैं दिगंत।
नभ हुआ देखकर दंग,
रंगों के अंदर रंग।
हँस रहे पके गेहूँ,
खुश मोर कहे 'केहूँ'
कोयल जी बोलें संग
रंगों के अंदर रंग
मिलो गले खिलखिलकर,
रहो साथ हिलमिलकर।
हो भले अलग ही ढंग,
रंगों के अंदर रंग।
गुझिया पूरी रसगुल्ले,
खा छूट रहे हँसगुल्ले।
होली ने भरी उमंग,
रंगों के अंदर रंग।