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खुशियाँ अगर जलेबी होती / राम करन

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खुशियां अगर जलेबी होती!
घर-घर तेल में छनती होती।
केवल हाट से चीनी लाते,
और चासनी स्वयं बनाते।

बनती गरमागरम जलेबी,
और शीरे में भीगी होती।
सुबह-2 ब्रेकफास्ट में सबको,
मीठी कड़क डिलेवरी होती।

जो खाता मुस्काता जाता,
कभी उदास नही हो पाता।
खुद खाता औरों को खिलाता,
हँस-हँस खिल-खिल गाता जाता।

नये-नये फूलों सी ताजी,
सबके मुख पर प्रसन्नता होती।
सीधी-सादी भले न होती,
टेढ़ी होती! टेढ़ी होती!
खुशियाँ अगर जलेबी होती!