भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

स्वप्नगन्धा यामिनी हो / सरोज मिश्र

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:28, 27 फ़रवरी 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सरोज मिश्र |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सत्य हो या स्वप्नगन्धा यामिनी हो
या ह्रदय तल पर उतरती रागिनी हो।

हैं अधर या दीपमालायें सजी हैं,
या नदी तट पर खड़ी सम्भावनायें।
ये नयन संदेश उर का वांचते क्या,
वेणियाँ हैं या कि उर की अर्गलायें।

मैं प्रणय की धूल मुठ्ठी में लिए हूँ,
तुम मिलन की रीति पथ अनुगामिनी हो!
सत्य हो या स्वप्नगन्धा यामिनी हो
या ह्रदय तल पर उतरती रागिनी हो!

हाथ में उंगली छुई, स्पर्श है यह,
या की सम्मोहन दृगों में कांपता है।
यह मेरा मन यंत्र मापन का बना है,
कंबु ग्रीवा तक तुम्हे जो मापता है।

प्रीति के इतिहास की अन्धी गली में,
बादलों के वक्ष धड़की दामिनी हो!
सत्य हो या स्वप्नगन्धा यामिनी हो
या ह्रदय तल पर उतरती रागिनी हो!

फिर वही विश्वास अधरों आँसुओं में,
जागकर चितवन तुम्हारी मांगता है!
दूरियाँ पल की लगें ज्यों सीपियाँ हैं,
रिक्तता में अश्रु मोती लापता है।

रेत पर बिखरी गुलाबी आस्था हो,
या कि फिर अभिसार उद्यत कामिनी हो।
सत्य हो या स्वप्नगन्धा यामिनी हो
या ह्रदय तल पर उतरती रागिनी हो।