भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
नवल हरित रूप / अनुराधा पाण्डेय
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:21, 7 मार्च 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनुराधा पाण्डेय |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
नवल हरित रूप, पादप छटा अनूप, गुनगुनी ओढे धूप, आया ऋतुराज है।
हर्ष पर्व चहुँ ओर, प्रीत गीत गाए मोर, प्रणय पवित्र डोर, उर बजे साज है।
मगन मदन नृत्य, बना रतिके का भृत्य, मिलन मृदुल कृत्य, लगता ज्यों आज है।
मादक है मधुमास, कण-कण में उजास, चहुँ ओर लास्य हास, प्रेम का ही राज है।