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बुधिया ऊसर में खिली / अनुराधा पाण्डेय

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"बुधिया" ऊसर में खिली, जैसे कोमल फूल।
बड़ी बड़ी क्षत्राणियाँ, उसके आगे धूल॥

उसके आगे धूल, दलितवधु इतनी मधुरिम।
जवाकुसुम सौंदर्य, अधर द्वय लगते रक्तिम॥

दिप-दिप करते नैन, दाँत की पंगत दुधिया।
"प्रेमचंद" की पात्र, बड़ी है अद्भुत बुधिया॥