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एैलोॅ छै रीतुराज सखी / कुमार संभव

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एैलोॅ छै रितुराज सखी,
लैके पिया मिलन संदेश।

बारी क्यारी में फूलोॅ गमकै
रात चननिया चमचम चमकै,
बाग बगीचा में बोराबै मंजर
कांहूँ नै कोनोॅ क्लेश,
एैलोॅ छै रितुराज सखी
लैकेॅ पिया मिलन संदेश।

हरिहर धरती पर झूमै गेंदा, जूही
ठार-ठार पर मिली करै गलबाहीं,
ई वसंत में आबै लेॅ तरसै
मधु माधव, शेष, महेश,
एैलोॅ छै रितुराज सखी
लैकेॅ पिया मिलन संदेश।

वन-उपवन छै फूलोॅ से भरलोॅ
भौंरा के मन छै खिललो-खिललोॅ,
कहिया ऐतेॅ हमरो निरमोही
खोजी थकलां देश-विदेश,
एैलोॅ छै रितुराज सखी
लैकेॅ पिया मिलन संदेश।