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करकट की ढेर पर / अरविन्द श्रीवास्तव
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पूरी तैयारी कर ली गयी है मुझमें मालवेयर भरने की
एक प्रदूषित व संक्रमित दिमाग
वातावरण को अपने अंदाज से हैंडिल कर रहा है
प्रेम के खूबसूरत फूलों में फैलाया जा रहा है वायरस
मैं करकट की ढेर पर खिला हुआ गुलाब हूँ
हमारा प्रत्येक कमरा एक आजायबघर है
हमारे मनुष्य होने का अधिकार ओझल हो रहा है
रात्रि के अंतिम पहर में मुझे उठा लिया जाएगा
सारे सहोदरें ससंकित हैं
प्रतिकूल वातावरण का अपराधी मुझे बनाया जाएगा
हम किसी भी नेक कार्यों के लिए दण्डित किये जाएंगे
कसाईबाड़े में तब्दील हो रही है दुनिया
हार्ड डिस्क से नदारत हो रही हैं सुन्दर स्वस्थ तस्वीरें
उधर चल रही है कम्यून में छिना-झपटी
इधर कम्युनिस्ट सारे टर्राते हैं
अनुसंलग्नों पर मालवेयर का ख़तरा
मंडरा रहा है !