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बोली / अनिरुद्ध प्रसाद विमल
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आ से बोलोॅ मीट्ठोॅ आम,
पढ़वोॅ छोड़ी नै दोसरोॅ काम।
जबेॅ-जबेॅ तोंय मुँहोॅ के खोलोॅ,
बेरथ बात कभी मत बोलोॅ।
बढ़िया-बढ़िया तोहें काम करोॅ,
दुनिया में यश नाम करोॅ।
बढ़िया बोली के गुण जानी लेॅ,
ओकरोॅ सदगुण केॅ पहचानी लेॅ।
बढ़िया बोली के ही मोल छै,
ओकरेह में अमृत के घोल छै।
झूठ कभी नै बोलोॅ तोंय,
सच बोलवोॅ नै छोड़ोॅ तोंय।
बोली बोलोॅ मिसरी घोली केॅ,
एक दम सोची समझी तौली केॅ।
बोलिये से ही हित व्यवहार छै,
ऐकरेह से मानव के उद्धार छै।