भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बस्ता भारी छै / अनिरुद्ध प्रसाद विमल

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:30, 28 मार्च 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनिरुद्ध प्रसाद विमल |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बच्चा के बस्ता भारी छै
एडमिसन ले मारामारी छै

कतनां-कतना छै किताब
माथोॅ दुखथौं बेहिसाब

दुक्खै छै डाड़ोॅ लड़का के
दिल नै पिघलै कक्का के

की बचपन के यहेॅ अर्थ छै
बच्चा पर बोझ व्यर्थ छै

कैन्होॅ जिनगी के तैयारी छै
शिक्षा बनलोॅ व्यापारी छै

कुछ्छु तेॅ बुतरू लेॅ सोचोॅ
रात बहुत ई कारी छै

डूबलै गरतों में गेलै शिक्षा
सब बात यहाँ सरकारी छै

सबने सब पर फेकै छै तुक्का
हमरा सबके भी जिम्मेदारी छै