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छुट्टी / अनिरुद्ध प्रसाद विमल
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छुट्टी होलै छुट्टी होलै
सब बच्चा के मन हरसैलेॅ
घर आबी केॅ मीसू उछलै
बस्ता के बोझोॅ उतरी गेलै
खेलतै आवै ख़ूब कबड्डी
खेलोॅ में बहिन फिसड्डी
मटरा नानी रोॅ घर गेलै
छुट्टी होलै छुट्टी होलै।
नानी कन वें मलाई खैतै
हँसतै गैतेॅ धूम मचैतेॅ
नानी घोॅर मनाही की छै
मामी हाथें पेड़ा खैतेॅ
मन सबके मस्ती में झूलै
छुट्टी होलै छुट्टी होलै