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बंसबिट्टा / अनिरुद्ध प्रसाद विमल
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बसबिट्टोॅ नै जहियै रे नूनू
बिट्टा में साँप रहै छै नूनू
करची-करची साँप रहै छै
उम्मस भरलोॅ ताप रहै छै
एक्के तोंही बापोॅ के बेटा
मिटिये जैतोॅ वंशों के फेटा
मय्योॅ के ममता केॅ जानै छैं
बातोॅ केॅ कैन्हें नै मानै छैं
सूनभट्टोॅ छै ऊ बाग़ बगीचा
रौदी में झूठेॅ दोल-दलीचा
पढ़ै लिखै में एकदम बम भोला
झूठे बिŸाी-बिŸाी रो खेला
चल पढ़ै लेॅ मास्टर जी एैलोॅ
समय पढ़ै के तेॅ आबी गेलोॅ।