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फुच्ची / अनिरुद्ध प्रसाद विमल
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फुच्ची कहोॅ, की कहोॅ गोरैया
घरोॅ-घरोॅ में छेलै गोरैया
आंगी फुच्ची, हिन्दी गोरैया
घर छपरी में रहै गोरैया
हर घर पिछवाड़ी फुदकै छेलै
केकरोॅ डोॅर नै मानै छेलै
चितकबरोॅ देखै में की सुन्नर
बड़ोॅ अधिक नै बस कोबोॅ भर
चूँ-चूँ करबोॅ खोता में घुसवोॅ
लोलोॅ से हरदम धान कुतरवोॅ
प्रेम करै दै केॅ लोलोॅ में लोल
मिली-जुली चूँ-चूँ करै किलोल
बच्चा सब बोलै बगरो रानी
रहलै भर पिहानी बगरोॅ रानी