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सखी ऐलै वसंत / मुकेश कुमार यादव

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सखी, ऐलै वसंत।
शोभै-जग-अनंत।
खेता-खेती सरसौ फूलाय।
झूला झूलै, आम बौराय।
नया-नया बेल फूलाय।
पतझड़ भेलै संत।
सखी, ऐलै वसंत।
सजी गेलै, वन-उपवन।
खुशबू से महकै मन।
सुन्दर-सुहानो, घर-आंगन।
पतझड़ केरो अंत।
सखी, ऐलै बसंत।
कोयल के मधुर गान।
महकै बाग़ सांझ-बिहान।
भ्रमर-राग-अनंत।
सखी, ऐलै बसंत।