भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पावस पड़ै फुहार / मुकेश कुमार यादव

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:30, 30 मार्च 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मुकेश कुमार यादव |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पावस पड़ै फुहार।
हर्षै मन अपार।

मोती रंग बूंद गिरै
देखी पिया मन फिरै।
दूर करै कचार।