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शिशिर ऋतु के ऐला पर / मुकेश कुमार यादव

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शिशिर ऋतु के ऐला पर।
गाछ वृक्ष के पत्ता झरै झर-झर-झर।
खोता में छेलै पड़लो।
शीत लहर से डरलो।
कौवा, मैना, गोरैया।
वन में धूनी रमैया।
सफेद चादर ओढ़वैया।
मधुवन चंचल गैया।
बाहर निकलै सर-सर-सर
शिशिर ऋतु के ऐला पर।
सूर्य किरण रो ताप।
धूप रो पुण्य प्रताप।
करै छै असर।
आम, नीम, महुआ, कनेर।
देर सवेर।
वृद्ध स्वरुप।
रूप कुरूप।
आवै छै नज़र फर-फर-फर
शिशिर ऋतु के ऐला पर।