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सखियाँ शिशिर देखी / मुकेश कुमार यादव
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सखियाँ शिशिर देखी, प्रीत केरो रीत देखी।
गली बीच मीत देखी, घुंघटा गिराय छै॥
मन केरो प्रीत देखी, ख़ुशी केरो गीत देखी।
सजन मगन देखी, बड़ी शरमाय छै॥
दिल में लगन देखी, मन में मगन देखी।
सखी सब तंग देखी, जिया भरमाय छै॥
कोमल कठोर देखी, सखी सब भोर देखी।
बाग बीच शोर देखी, गेली बिसराय छै॥
अलख अलग देखी, झलक छलक देखी।
पलक सुघढ़ देखी, नैना मिली जाय छै॥