भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

झील के आँचल में / कुँवर दिनेश

Kavita Kosh से
वीरबाला (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:58, 31 मार्च 2021 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

     
1
सूर्य चमके
पूर्वी क्षितिज पर,
झील दमके।
2
झील शीतल
नाव के साथ- साथ
बत्तख दल।
3
ज्यों साँझ ढले
सूरज संग झील―
रंग बदले।
4
शाम विचित्र
झील सहेज रही―
सूर्य के चित्र।
5
सूर्य गुलाबी!
साँझ ढले झील की
बढ़ी बेताबी!
6
दिन ढलता
झील की लहरों पे―
मूड सूर्य का!
7
नीलम नील!
प्रात: धूप का स्पर्श―
दमकी झील!
8
शान्त है झील
गर्मियों की शाम में
सुख की फ़ील!
9
झील के कोने
श्वेत कमल छिपा
हरे पत्तों में!
10
सहसा मिले
झील के छोर पर
कमल खिले!
11
झील पे आए
दूर देश के पंछी
बने पाहुने!
12
पंछी चहके
इस झील को रखें
साफ़ करके!
13
पंछी दूर के
झील में आ पहुँचे
वासी तूर के!
14
ख़ुशी की फ़ील
नाचते- गाते लोग
ख़ामोश झील।
15
पुण्या की रात
झील के अँचल में
चाँद की बात!
16
'छिप- छिपके
नहाती है चन्द्रिका
शान्त झील में।
17
चाँद- सितारे
आसमान― झील में
उतरे सारे।
18
कैसा अजूबा!
जादूगर चन्द्रमा―
झील में डूबा!
19
चाँद है आया
झील की नींद उड़ी,
जी भरमाया।
20
चन्द्रमा आया
झील के आग़ोश में
सुकून पाया।
-0-