भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

व्यवस्था / मुताबारुका / राजेश चन्द्र

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:41, 31 मार्च 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मुताबारुका |अनुवादक=राजेश चन्द्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

व्यवस्था ...
व्यवस्था ...

व्यवस्था केवल एक धोखा है

मैं तो कहता हूँ
व्यवस्था
एक क़ब्रिस्तान है

या तो
इसके लिये काम करो

या फिर
मरो ।

अँग्र्ज़ी से अनुवाद : राजेश चन्द्र