भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मनभावन चरित्र / लता अग्रवाल

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:19, 6 अप्रैल 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लता अग्रवाल |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ॐ ध्वनि-सी पवित्र है माँ
भगवान-सा चरित्र है माँ।

जिंदगी के केनवास का
एक सुंदर चित्र है माँ।

महका दे जीवन गुलाब सा
ऐसा मनमोहक इत्र है माँ।

हर सुख दुख में रहती संग
सबसे अच्छी मित्र है माँ।

थामकर दामन पार हो जाते
गंगा जमुना-सी पवित्र है माँ।

क़दमों में जिसके जन्नत है
स्वर्ग जाने का निमित्त है माँ।

आशीष से उनकी संवारता बचपन
सम्भावनाओं से भरा चरित्र है माँ।