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सखी, ऐलेॅ शरद अहिवातिन / कुमार संभव

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सखी, ऐलेॅ शरद अहिवातिन

अमलतासोॅ के चुनरी पिन्हीं
शेफाली फूलोॅ के अंगिया,
बौरैली छै शरद अतन्हें कि
छम-छम नाचै कहि-कहि पिया।
मन रोॅ बात कहै छियौं हम्में
सखी, सच्चे शरद बड़भागिन,
सखी ऐलै, शरद अहिवातिन।

मनोॅ केॅ मोहै शरद इंजोरिया
दूधोॅ सें धोली गोरी दूधिया,
गोटा फूलोॅ के उबटन से गमगम
नाकोॅ में मसूर, चना के नथिया।
धानोॅ के बाजूबंद में शोभै छै
सखी, शरद रुपो के अगुराईन
सखी ऐलै शरद अहिवातिन।

गेंदा, जूही, चमेली के लंहगा सोहै
सब्भेॅ जन रोॅ मन केॅ मोहै,
मदन मन बोलै चक्रवाक रो जोड़ा
मस्त मगन भौंरा आपनोॅ भाग सराहै।
चानन किनरा पर सगुन सरसी के
सखी, शरद बड़ी अनुरागिन
सखी ऐलै शरद अहिवातिन।