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ऐसा हुआ प्रबन्ध है / राजेन्द्र वर्मा

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ऐसा हुआ प्रबन्ध है,
हर कोई निर्बन्ध है।

दिल्ली भी अब क्या करे?
सत्तासीन कबन्ध है।

राम टँगे दीवार पर,
रावण से सम्बन्ध है।

दुख नयनों तक आ गया,
टूट रहा तटबन्ध है।

कल तो पड़ जाता मगर,
पीड़ा से अनुबन्ध है।

कहने को तो है बहुत,
वाणी पर प्रतिबन्ध है।