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हाइकु / अर्चना राय / कविता भट्ट
Kavita Kosh से
1
बेटी चिरैया
रैन भर बसेरा
भोर बिदाई
बेटी प्वथली
रात भर बसेरु
बिन्सरी बिदा
2
प्रीत निगोड़ी
सिर चढ़ कर बोले
उम्र न देखे
माया अभाग्गी
बर्मण्ड चड़ि बोल्दि
उम्र नि देख्दी
3
झील दर्पण
मुखड़ा निहारते
विस्मित तरु
तालौ कु ऐंनाँ
मुखड़ि दिखदन
हैरान डाळा
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