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ऊ मुस्काउँदै आई / सुमन पोखरेल
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ऊ मुस्काउँदै आई, र रोएर गई
नछोई मलाई, छोएर गई
ऊ बोलिरहेथी, म टोलाइरहेथेँ
म सुनिरहेथेँ, म हराइरहेथेँ
पोखिएका पीडा उठाएर गई
नछोई मलाई, छोएर गई
न बगेका आँशु, थापिदिन सक्थेँ
न बोझहरूलाई छाती दिन सक्थेँ
फेरि चोट बटुली, र लिएर गई
नछोई मलाई, छोएर गई
म बोलिरहेथेँ, ऊ हेरिरहेथी
ऊ हेरिरहेथी, ऊ मुस्काइरहेथी
एकछिन टोलाई, र उठेर गई
नछोई मलाई, छोएर गई
दुखेर गई, या मन धोएर गई
ऊ मुस्काउँदै आई, र रोएर गई