भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अक्षर-अक्षर का आलिंगन / कविता भट्ट
Kavita Kosh से
वीरबाला (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:06, 20 मई 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= कविता भट्ट }} {{KKCatGadhwaliRachna}} <poem> हाथ थामक...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
हाथ थामकर एक दूजे का
अक्षर-अक्षर का आलिंगन।
धीरे से कान में फुसफुसा,
सहलाया, माथे धर चुम्बन।
गले लिपट कुछ हँसा-रोया,
भावों के आँखों में दर्शन।
हलन्त-विसर्ग सभी समर्पित,
हुई प्रेम की कविता सृजित।