भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

समुद्री गुफ़ाओं में / ग्योर्गोस सेफ़ेरिस

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:29, 29 मई 2021 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

समुद्री गुफ़ाओं में
प्यास है
प्रेम है
उल्लास है

सीपियों की तरह कठोर है सब
अपनी हथेलियों में थाम सकते हो तुम जिसे
समुद्री गुफ़ाओं में

सारा-सारा दिन
मैं झाँकता रहता हूँ तुम्हारी आँखों में
न तुम मुझे जानती हो
न मैं तुम्हें जानता हूँ ।

रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय