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फिफ्टी प्लस वाला / संजीव 'शशि'

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गाओ सब मेरे साथ-साथ,
लाया गीतों की मधुशाला।
यारो! मैं फिफ्टी प्लस वाला॥

मेरे गीतों में है सावन।
मेरे गीतों में है फागुन।
पल-पल मन को महकायेगा-
मेरे गीतों में है मधुवन।
मैं हुआ बाबरा झूम रहा,
पीकर के प्रेम भरा प्याला।

चल रहा अभी हूँ रुका नहीं।
तुम समझो मुझको चुका नहीं।
लूँ पाँव चूम यदि प्यार मिले-
नफरत के आगे झुका नहीं।
अपनी धुन में गाता जाऊँ,
अपनी मस्ती में मतवाला।

जो भी अपने मन में ठाना।
उसको बस करके ही माना।
हर पल को जीना है जी भर-
पड़ जाये कौन घड़ी जाना।
कब मृत्यु सुंदरी आ जाये,
हाथों में लेकर वरमाला।