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जन-गण-मन गाना / भाऊराव महंत

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चाहे कोई गीत-ग़ज़ल हो,
चाहे कोई नया–तराना।

चाहे कोई लोकगीत हो,
चाहे कोई छन्द–पुराना।

चाहे कोई भजन-आरती,
चाहे कोई फिल्मी-गाना।

मुझे नहीं भाते हैं ऐसे,
नग़मे सुनना और सुनाना।

सबसे अच्छा लगता मुझको,
'राष्ट्रगान' 'जन-गण-मन' गाना।