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चिट्ठियाँ प्यार की जला आये / नन्दी लाल
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चिट्ठियाँ प्यार की जला आये।
नाम दीवार से मिटा आये।।
जा रहा हूँ कहाँ बता आये,
आईना धूप को दिखा आये।।
तू अगर साथ दे कहीं मुझको,
तो मेरे दिल को हौसला आये।।
रास्ता छोड़ दो जरा लोगों,
खिड़कियाँ खोल दो हवा आये।।
लोग कहतें हैं और सुनता हूँ,
पूछ कर कब भला कजा आये।
अश्क बहतें हैं तो बहे उसके,
देखने वाले को मजा आये।
आग भड़की थी जिसलिए घर में,
दास्तां फिर वहीं सुना आये।