भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अनुभव / सुदर्शन रत्नाकर

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:46, 22 जून 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुदर्शन रत्नाकर |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ज्ञान की गंगा
बहने लगती है
जब अनुभव शब्द बन
पिघलने लगते हैं
मेरी हथेली से
मन के कोरे काग़ज़ पर
और बहने लगते हैं
शिराओं में रक्त बन।