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बातचीत / वास्को पोपा / सोमदत्त

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पाल-पोसकर
क्यों त्याग देता है तटों को
क्यों, ओ मेरे रक्त !
भला, क्यों भेजूँ मैं तुझे
सूर्य

तू सोचता है — चुम्मी लेता है सूर्य
मुझे मालूम नहीं कुछ भी
मेरी दफ़्न नदी

तू तकलीफ़ पहुँचा रहा है मुझे
समेट के ले जाते हुए मेरी लाठियाँ और पत्थर
मेरे भँवर, क्या कसक रहा है तुझे

तू नष्ट कर देगा मेरा निस्सीम चक्र
जिसका बनाना अब तक ख़त्म नहीं किया अपन ने
मेरे लाल अजदहे !

बह, आगे बह
ताकि उखड़ें न पाँव तेरे साथ-साथ
बह, जितनी दूर तक बह सकता है तू, ओ मेरे रक्त !

अँग्रेज़ी से अनुवाद : सोमदत्त