भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मेकअप बॉक्स / पंछी जालौनवी
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:15, 24 जून 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=पंछी जालौनवी |अनुवादक= |संग्रह=दो...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
आँखों की बाँहों में आकर
काजल बहुत इतराता था
पलकों की मुंडेरों पर
आईलाइनर यूँ दायरे बनता था
देखने वालों को
अपना अलग
अंदाज़ बनाना पड़ता था
चेहरे को
आवाज़ बनाना पड़ता था
लबों पर लिपस्टिक की
जब लाली होती थी
शफ़क़ रंग पर बहाली होती थी
मगर कुछ दिनों से बंद हैं पार्लर
उदास है नेलपोलिश
और ग़ज़ा पाउडर
सादगी का भी अपना मज़ा है
चेहरा उसका कुछ दिनों से
मेकअप बॉक्स में रखा है॥