भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अटुट... / गीता त्रिपाठी

Kavita Kosh से
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:17, 2 जुलाई 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= गीता त्रिपाठी |अनुवादक= |संग्रह=स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जब शीर्षस्थ हुन्छौ तिमी
मेरा हरफहरू
गीत भएर बग्न थाल्छन्- तिमीतिरै
 
तिम्रो केन्द्रदेखि
मेरो परिधिसम्मको
अनन्त दूरीमा
लाग्छ,
बगिरहेछ युगौँदेखि
विश्वासको एक
अटुट नदी
 
पानी छउञ्जेल नदीमा
किनारहरू
सहयात्रामै हुन्छन् हरसमय
यही समयको
एउटा सहयात्री म
उमारेर
सम्पूर्ण स्मृतिका तरङ्गहरू
त्यही नदीमा
तिम्रो गीतको मीठो धुन
पर्खिरहनेछु ...अटुट...।