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जड़ा स्वयं को चाटे / श्रवण कुमार सेठ

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जंगल में आतंक मचा रक्खे
थे राजा शेर।
उनके इक दहाड़ से सारे
हो जाते थे ढेर,

सभी मच्छरों को जंगल के
सूझी इक तरकीब
दबे पांव एक रात गए सब
राजा के करीब।

गहरी नीद में सोते शेर की
नाक पे ऐसा काटे
उठा गरजता हुआ शेर ने
जड़ा स्वयं को चाटे।