भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

होना होगा /अर्चना लार्क

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:00, 12 अगस्त 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अर्चना लार्क |अनुवादक= |संग्रह= }} {{K...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आँसू को आग
क्षमा को विद्रोह
शब्द को तीखी मिर्च
विचार को मनुष्य होना होगा

ख़ारिज एक शब्द नहीं हथौड़ा है
मादा की जगह लिखना होगा
सृष्टि, मोहब्बत,
 जीने की कला
शीशे की नोक पर जिजीविषा

मनुष्य
लिखना नहीं
मनुष्य होना होगा ।