भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

प्रेम / अर्चना लार्क

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:14, 12 अगस्त 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अर्चना लार्क |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैंने
प्रेमियों की आँखों में

प्रेम नहीं
ज़िद देखी

प्रेम पाने को
लौटती रही ख़ुद में
और एक दिन ख़ुद की हो गई ...