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मृत्युलेख / शकीला अज़ीज़ादा / श्रीविलास सिंह
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किसकी मरती हुई सांसें
सो रहीं हैं
तुम्हारी बादामी आँखों में ?
किस छोटे बच्चे की दृष्टि
हो जाती है ख़ाली तुम्हारे ट्रिगर पर ?
जिस कमसिन लड़की के लिए,
जिसका ह्रदय है तुम्हारी हथेली में
रक्त में डूबे हुए पाँव, क्या तुम्हारा ह्रदय भी धड़कता है ?
पर्वत मानव !
कौन सा भाग्य फाड़ देगा चट्टान
तुम्हारे पाँव के नीचे की ?
कौन सी स्त्री महसूस करेगी अपने कुचाग्रों को जलता हुआ
तुम्हारे धूलि-धूसरित घुँघराले बालों के लिए,
कौन सी माँ अपने बेटे के लिए ?
कहो मुझसे,
किसकी आँखों की गहराइयों में
तुम्हारी मरती हुई सांसें पाएँगी शान्ति ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : श्रीविलास सिंह