ईश्वर का भ्रम अच्छा है / अमलेन्दु अस्थाना
जब तुम नहीं होते हो,
खुदा होता है मेरे पास
रात के सन्नाटे में
जब तुम सपनों की रंगीन दुनिया में होते हो
और मैं, नहीं उतरना चाहता तम्हारी मीठी मखमली नींद में
चुपचाप कह देता हूं अपनी बेचैनी प्रभु से
घनघोर अंधेरे में जब मेरा बेटा चीखता है दर्द से
और तुम आलिंगनबद्ध होते हो अपने बिस्तर की सिलवटों के साथ
भ्रम ही सही ईश्वर आ बैठता है मेरे सिरहाने,
तुम जब अपनी दुनिया रचने में मशगूल हो
और मैं अंधकार में घिरा हूं, वो लौ की तरह जलता है और
दिखाता है राह कदम दर कदम
तुम जिसे झटके में अंधविश्वास कह देते हो
अंधविश्वास ही सही, हम जैसे नाउम्मीदों की उम्मीद
बेसहारों का सहारा है
जरा सोचो ये भ्रम अच्छा है न मेरे दोस्त
तुम्हारे दूर जाने और रंगीनियों में खो जाने के बाद
मेरे साथ संबल बनकर खड़ा है,
खुदा के लिए मुझे इस भ्रम में रहने दो
आज जब दुनिया बेहद मतलबी हो गई है,
सतरंगी दुनिया की चकाचैंध जितना भ्रम पैदा कर रही है
उस भ्रम से अच्छा और सच्चा है मेरा भ्रम, मेरा ईश्वर।।