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युद्ध संधि शांति / रचना उनियाल
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शांति का वाहक
वसुधैव कुटुम्बकम की परिधि
में भरत वंश का देश
किसी अन्य धरती
पर अतिक्रमण
स्वप्न से परे
झेलता जाता है
मित्रों का दंगाई व्यवहार
जो क्या जानते हैं
अर्थ संधि का
कब तक आख़िर क्यों?
भारती का ललाट
होगा रक्तरंजित
आघातों की वेदनाओं
में झुलसेगी मातृभूमि
उठो रण बाँकुरों,
देशभक्तों, भारतीयों, उठा लो
प्रत्युत्तर का सम्बल
विवश करो उस काल को
समझाओ
क्या युद्ध है समाधान?