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ओ मेरी चिड़िया / मृदुला सिंह

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ओ चिड़िया उड़ गई कहां
क्या उस देश जहां बचा है हरा रंग
औऱ बचे हैं फल पेड़ों पर
उस देश में बहेलियों के जाल के लिए
नही है क्या जगह
बची है धरती पर कही
तुम्हारे खिलखिलाने भर की जगह

कभी आओ इधर भी
हमारे पास
लिये चोंच भर चहचहाहट
खेलो फुदको
चुगो बजरी के दाने
तुम्हारे आने से तरंगित हो उठेगी
मेरी सूनी सीलन भरी अंगनाई
दीवार पर उकेरा पुराना चित्र हरा हो उठेगा

मन के खालीपन में
तुम्हारे होने से भरेगा उल्लास
आओ बना लो घोसला
चौके के रोशनदान में
करूँगी तुमसे खूब बाते
पेड़ों की जंगलों की
तुम भी झाड़ना जाले
मेरे उदास मन के

आओ साथी बन जाओ
बतियाएंगे सहलायेंगे
एक दूसरे का दुख
मैं बोऊंगी बीज क्यारियों में
कल के लिए
तुम देखना सुखद हरे सपने
इन सपनो के पंख लिए
हम दोनों उड़ेंगे
ओ मेरी प्यारी चिड़िया