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वक़्त ज़रा थम जा / गिरिजाकुमार माथुर
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वक्त
ज़रा थम जा
मुझे और अभी कहना है —
खिलते चले जा रहे हैं
अभी
ढेर ताजे़ फूल
अंजलि में भर-भर
उन्हें
धारा को देना है ।