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फुटल ढोल / दिनेश यादव

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संख्याबलमे बेसी छी,
समाङ्गोमे कम नई छी,
हमरा बलसं अन्न उब्जय,
मुदा विपैत्तमे हमरा कियो नय सुनय,
कहबी बेजाए नय,
फुटल ढोलके के सुनय।

पांचजन हम छी,
हाथोंमे दश छी,
अदरा बरसय,
खेतमे बाढि बहय,
नय हर नय बिया उपडैय,
घरमे बन्धक सभ कोय,
भुखसं चेङ्गनामेङ्गाके लोर चुबय।

अन्न बसातै छी,
कोठी भैर दैते छी,
जब रौदी चलय,
मजदूरके के पुछैय,
पेटक जुना के खोलय,
मलिकबाके बखारी मुसाय,
खखरी देख जनबैन मन भरय।