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आटे की चिड़िया / हरदीप कौर सन्धु

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मुन्नी जो रोए
आटे की चिड़िया से
माँ पुचकारे !
चिड़िया मिली
मुनिया की बिखरी
दूधिया हँसी ।
उड़ती नहीं
आटे की चिरइया
ओ मेरी मैया !
अभी ये छोटी
उड़ेगी तब –जब
खाएगी रोटी ।
रोटी ही लाओ
माँ इसको खिलाओ
उड़ेगी फुर्र !
रोटी खाकर जब
ये फुर्र से उड़ जाएगी
हाथ नहीं आएगी!